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गमों के सिलसिले

Wings
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अब तो ग़मों के सिलसिले रुकते ही नहीं
हमे तो अपने ही लूटते जा रहे
जिनके के लिए लूटते हैं, हम जान
वो ही अब जान की कीमत लगा रहे हैं
वाकिफ हो जिंदगी हमारी तकलीफो से भी
अपनों ने तो लूटा, तू भी क्यों इतरा रही हैं
हम तो तुझे अभी भी खामोश निगाहो से बुला रहे
पर तू भी रूठी हैं, जब से ग़मों के सिलसलेवारी शुरू हुई

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